Short Essay On Holi In Hindi | Holi Pe Nibandh | Hindi Essay On Holi | Essay In Hindi On Holi | Essay On Dhuleti
होली एक वसंत ऋतू का त्योहार है. होली को रंगों का त्योहार भी कहते हैं. होली एक प्राचीन हिंदू धार्मिक त्योहार है जो कि दक्षिण एशिया में लोकप्रिय है.
HOLI का त्यौहार मुख्य रूप से हिंदू या भारतीय मूल के लोगों के साथ साथ भारत , नेपाल , तथा दुनिया के अन्य क्षेत्रों में मनाया जाता है.

होली समारोह में लोग इकट्ठे हो कर होली के गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं. होली की पूर्व संध्या पर एक होलिका को जलाया जाता है.
अगली सुबह गुलाल, पिचकारियों और रंगीन पानी से भरे गुब्बारों के साथ होली खेलते हैं.
होली का त्यौहार हर कोई मनाता है: दोस्त या अजनबी , अमीर हो या गरीब , आदमी या औरत , बच्चे या बड़े.
होली के दिन सभी सरकारी तथा प्राइवेट संस्थाओं में अवकाश होता है.Short Essay On Holi In Hindi | Holi Pe Nibandh | Hindi Essay On Holi | Essay In Hindi On Holi | Essay On Dhuleti
हिर्ण्यकश्यप कथा
राजा हिर्ण्यकश्यप स्वयं को ईश्वर मानने लगा. उसकी इच्छा थी की केवल उसी का पूजन किया जाये. उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. पिता के समझाने के बाद भी जब पुत्र ने विष्णु की पूजा बन्द नहीं कि तो हिरण्य़कश्यप ने उसे आग में जलाने का आदे़श दिया. इसके लिये राजा नें अपनी बहन होलिका से कहा कि वह प्रह्लाद को जलती हुई आग में लेकार बैठ जाये. क्योकि होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी.
इस आदेश का पालन हुआ, होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गई. लेकिन होलिका जल गई, और प्रह्लाद बच गया.
इस कथा से यही धार्मिक संदेश मिलता है कि प्रह्लाद धर्म के पक्ष में था और हिरण्यकश्यप व उसकी बहन होलिका अधर्म
इस कथा से प्रत्येक व्यक्ति को यह प्ररेणा लेनी चाहिए, कि प्रह्लाद प्रेम, स्नेह, अपने देव पर आस्था, द्र्ढ निश्चय और ईश्वर पर अगाध श्रद्धा का प्रतीक है. वहीं, हिरण्यकश्यप व होलिका ईर्ष्या, द्वेष, विकार और अधर्म के प्रतीक हैShort Essay On Holi In Hindi | Holi Pe Nibandh | Hindi Essay On Holi | Essay In Hindi On Holi | Essay On Dhuleti
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